महामृत्युंजय मंत्र कैसे समाप्त करता है रोगों और मानसिक परेशानियों को !






महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र ही ऐसे 2 मंत्र हैं जो महामंत्र हैं, महामृत्युंजय मंत्र को संजीवनी मंत्र भी कहते हैं  इसके द्वारा हम भगवान शिव की आराधना करते हैं यह अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है, इसके उच्चारण से  उत्पन्न हुई ध्वनि के कंपन से शरीर के चारों ओर सुरक्षा कवच निर्मित होता है इस मंत्र का उच्चारण मात्र  से - अमंगल, दुर्घटना, दुर्भाग्य वह विपत्तियां मानव मात्र से कोसों दूर रहती हैं यह जीवन में सुख-शांति  समृद्धि लाता है


 

रचना : 

यह बात उस समय की है जब शिवजी के बहुत बड़े भक्त मृकंड ऋषि संतान हीन होने की वजह से दुखी थे उनकी कुंडली में संतान योग था ही नहीं लेकिन उन्हें संतान की चाह बहुत थी इसलिए उन्होंने सोचा कि देवों के देव महादेव जो संसार की विधान बदल सकते हैं तो मेरा विधान क्यों नहीं इसलिए उन्होंने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए निश्चय किया और उनकी अराधना में लीन हो गए

Ananta Himalayas: SAGE MARKANDEYA 

 

मृकंड ऋषि ऋषि के काफी समय तक तपस्या में लीन होने के बाद भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उनको विधान बदलकर उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं यह सुनकर ऋषि बड़े प्रसन्न हो जाते हैं पर अगले ही पल महादेव की कही बात ऋषि के मुख से प्रसन्नता छीन लेती है। महादेव उनसे कहते हैं कि पुत्र प्राप्ति के लिए इस प्रसन्नता के साथ ही साथ तुम्हें जल्दी बहुत बड़े दुख का सामना करना पड़ेगा। लेकिन यह क्या होगा यह उन्होंने नहीं बताया।   


                               


जल्द ही मृकंड ऋषि को पुत्र की प्राप्ति होती है जिसका नाम मार्कंडेय पड़ा लेकिन  ज्योतिषियों ने बताया कि यह अल्पायु है और इसकी आयु मात्र 12 वर्ष है। समय बीतता गया और मार्कंडेय के माता-पिता की चिंता बढ़ते गए मार्कंडेय के माता-पिता ने उसको उसके अल्प आयु की बात बता दी लेकिन मार्कंडेय ने बिना परेशान हुए उन्हें विश्वास दिलाया कि उनके दुख को दूर करने के लिए शिव से दीर्घ आयु का वरदान जरूर  लेंगे और इसके बाद मार्कंडेय ने शिवजी की आराधना के लिए "महामृत्युंजय मंत्र की स्वयं रचना की" और उस मंत्र का अखंड जाप करने में लीन हो गए। 

 

शिव की आराधना करते-करते वो समय ही गया जिसका सभी को डर था। मार्कंडेय की आयु 12 वर्ष होती है यमदूत उन्हें लेने गए लेकिन जब यम दूतों ने देखा वह महाकाल की अराधना में लीन हैं तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की परंतु समय बीतने के बाद भी यमदूतो का साहस नहीं हुआ कि  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते मार्कंडेय को पकड़ उनका प्राण हर सकें। वह वापस लौट गए और यह बात यमराज को बताएं और यमराज ने फैसला किया कि अब उसे वह स्वयं लेकर आएंगे और इसके बाद यमराज मारकंडेय को लेने उसके पास पहुंच गए।

Yamraj played an important role in Mahabharat. Infact, he was an ...

यमराज को अपने सामने देख मार्कंडेय मंत्र का जाप जोर-जोर से करने लगे और शिवलिंग से लिपट गए यह देखकर यमराज ने मार्कंडेय को शिवलिंग से खींच कर ले जाने की कोशिश करी। तभी एक भयंकर हूंकार से धरती कांप उठी और एक प्रचंड प्रकाश उत्पन्न हुआ है जिसमें से स्वयं महाकाल हाथों में त्रिशूल लिए प्रकट हुए उन्होंने यमराज से कहा कि "तुमने मेरे साधना में लीन भक्त के प्राण हरने का प्रयास कैसे किया।"यमराज महाकाल का क्रोध देख भयभीत हो जाते हैं महाकाल उनसे कहते हैं कि " मैं अपने भक्त की आराधना से प्रसन्न हूं और इसे दीर्घायु प्रदान करता हूं अब तुम इससे नहीं ले जा सकते।" इसके बाद यमराज ने कहा कि "प्रभु मै आपके आख्या का मैं सम्मान करता हूं मैं अब से मार्कंडेय द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने वाले किसी भी भक्तों को कोई हानि नहीं करूंगा।"

Sage story: Sage Markandeya winning over death! | Bhagavatam-katha


और इस तरह मार्कंडेय को लंबी आयु का वरदान मिल गया और शिव भक्तों को मृत्यु से और संकट से बचने का

 महामृत्युंजय मंत्र मिला। 

 

लाभ:

यदि आप किसी संकट में हैं या स्वास्थ्य संबंधित बीमारी या रोग से मुक्त होने के लिए अगर आप इस मंत्र का

जाप करें तो भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न होकर उनके दुख हर लेते हैं।

 

संक्षेप:

सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से महाकाल की कृपा होती है और कई रोगों और मानसिक

 परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

इसके पाठ का जाप उतनी अंक पार करें जो 3 से भाग हो जाए जैसे कि 3,9 ,30 ,60 इस प्रकार एवं पाठ करने ने से पहले भगवान पर भरोसा भी रखते हैं बिना भरोसे के जाप करना मतलब ईश्वर के  दयालुता पर शक करना है

भगवान शिव आपके दुख हर आपको परेशानियों से दूर करेंगे।

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                                    ।। जय महाकाल ।।


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